उड़े..
खुले आसमान में ख्वाबों के परिंदे।
उड़े..
दिल के जहां मैं ख़्वाबों के परिंदे।
ओ हो…
क्या पता, जायेंगे कहाँ…
खुले हैं जो पल, कहे ये नज़र, लगता है अब है जागे हम।
फिक्रें जो थी, पीछे रेह गयी, निकले उनसे आगे हम।
हवा में बेह रही है ज़िन्दगी।
ये हम से कह रही है ज़िन्दगी।
ओ हो…
अब तो, जो भी हो सो…
उड़े..
खुले आसमान में ख्वाबों के परिंदे।
उड़े..
दिल के जहां मैं ख़्वाबों के परिंदे।
ओ हो…
क्या पता, जायेंगे कहाँ…
किसी ने छुआ, तो ये हुआ, फिरते हैं महके-महके हम।
खोयी हैं कहीं, बातें नयी, जब हैं ऐसे बहके हम।
हुआ है यूँ के दिल पिघल गए।
बस एक पल में हम बदल गए।
ओ हो…
अब तो, जो भी हो सो हो…
रौशनी मिली, अब राह में है इक, दिलकशी सी बरसी।
हर खुसी मिली, अब ज़िन्दगी पे है, ज़िन्दगी सी बरसी।
अब जीना हमने सीखा है…
याद है कल, आया था वो पल, जिसमे जादू ऐसा था।
हम हो गए, जैसे नए, वो पल जाने कैसा था।
कहे ये दिल के जा उधर ही तू।
जहाँ भी लेके जाए आरज़ू ।
ओ हो…
अब तो, जो भी हो सो हो…
जो भी हो सो हो…
उड़े…
जो भी हो सो हो…
उड़े…
जो भी हो सो हो…